भारत की शक्ति और सहयोग की भावना: ऑपरेशन सिंदूर पर मोहन भागवत का बयान

AajBihar Desk
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारत की नीति और दृष्टिकोण पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत कभी किसी देश के साथ शत्रुता नहीं चाहता, लेकिन यदि कोई उसकी संप्रभुता या शांति को चुनौती देता है, तो भारत उसका करारा जवाब देने में भी सक्षम है।

पड़ोसियों के प्रति भारत का दृष्टिकोण

मोहन भागवत ने जयपुर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कहा कि भारत ने हमेशा पड़ोसी देशों के लिए एक बड़े भाई की भूमिका निभाई है। भारत ने न केवल उनकी सहायता की है, बल्कि इस भूमिका को विनम्रता के साथ निभाया है, बिना किसी अहंकार के। उन्होंने कहा, “भारत पड़ोसियों को सहयोग और मार्गदर्शन देता है, लेकिन कभी अपनी श्रेष्ठता का दंभ नहीं करता।

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शक्ति और मानवीय धर्म का संतुलन

संघ प्रमुख ने जोर देकर कहा कि भारत का उद्देश्य विश्व को मानवीय धर्म का मार्ग दिखाना है। इसके लिए शक्ति का होना अनिवार्य है, क्योंकि विश्व केवल ताकत की भाषा को गंभीरता से लेता है। उन्होंने कहा, “भारत का धर्म मानवता पर आधारित है, लेकिन प्रेम और कल्याण की बात तभी सुनी जाती है, जब आपके पास शक्ति हो।” भागवत ने यह भी बताया कि समय-समय पर भारत अपनी शक्ति का प्रदर्शन करता है, जिसे पूरी दुनिया देखती और प्रभावित होती है।

पड़ोसियों की विपरीत धाराओं पर टिप्पणी

पाकिस्तान का नाम लिए बिना, मोहन भागवत ने उन पड़ोसी देशों का जिक्र किया जो समय-समय पर भारत के खिलाफ विपरीत रुख अपनाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा सहयोग की भावना रखता है, लेकिन जब आवश्यक हो, शक्ति का प्रदर्शन भी करता है। यह प्रदर्शन न केवल भारत की ताकत को दर्शाता है, बल्कि विश्व को यह संदेश भी देता है कि भारत अपनी सुरक्षा और सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।

जयपुर में सांस्कृतिक कार्यक्रम

यह बयान मोहन भागवत ने 17 मई, 2025 को जयपुर के सीकर रोड स्थित संत रवि राम आश्रम में आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान दिया। अपने संबोधन की शुरुआत में उन्होंने कहा, “मैं भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं।” इसके बाद उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत, शक्ति और वैश्विक जिम्मेदारी पर अपने विचार साझा किए।

विश्व कल्याण के लिए भारत की भूमिका

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में यह भी रेखांकित किया कि विश्व का स्वभाव ताकत को महत्व देता है, और इसे बदला नहीं जा सकता। इसलिए, विश्व कल्याण के लिए भारत को शक्तिशाली बने रहना होगा। उन्होंने कहा, दुनिया हमारी ताकत को देख रही है और इससे प्रभावित भी हो रही है। भारत का लक्ष्य केवल अपनी सुरक्षा नहीं, बल्कि विश्व में शांति और मंगल की स्थापना करना भी है।

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